बता औकात कि तू क्या-क्या था, नामर्द भेड़िया या खूंखार दरिंदा था बता औकात कि तू क्या-क्या था, नामर्द भेड़िया या खूंखार दरिंदा था
जीवन में हमको सदा मिलेगा सम्मान, जब समझेंगे हम सबको अपने समान। जीवन में हमको सदा मिलेगा सम्मान, जब समझेंगे हम सबको अपने समान।
दर्द दर्द
कट रहा है जीवन बोझ जैसा सूखता मन टूटे पेड़ जैसा। कट रहा है जीवन बोझ जैसा सूखता मन टूटे पेड़ जैसा।
मैं रिसता रहा रिसता रहूंगा तू क्या जाने पीर मेरा। मैं रिसता रहा रिसता रहूंगा तू क्या जाने पीर मेरा।
मैं सोचती हूँ और डरती हूँ कहीं वक़्त के तूफ़ान में मैं भी उड़ न जाऊं। मैं सोचती हूँ और डरती हूँ कहीं वक़्त के तूफ़ान में मैं भी उड़ न जाऊं।